महाराष्ट्र सरकार का यू-टर्न!

पुणे कोर्ट ने एलगार परिषद मामला एनआईए अदालत को सौंपा


२८ फरवरी को सभी आरोपी अदालत के सामने होंगे पेश



पुणे,१४ फरवरी। एलगार परिषद मामले की सुनवाई कर रही पुणे की एक अदालत ने शुक्रवार को एक आदेश पारित करते हुए यह मुकदमा मुंबई की विशेष एनआईए अदालत को हस्तांतरित कर दिया। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एस आर नवंदर ने यह आदेश पारित किया। अदालत द्वारा आदेश पारित किए जाने से पहले अभियोजन पक्ष ने कहा कि उन्हें राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की उस याचिका पर कोई पत्ति नहीं है, जिसमें मामला हस्तांतरित किए जाने का अनुरोध किया गया है। केंद्र ने पिछले महीने मामले की जांच पुणे पुलिस से एनआईए को हस्तांतरित कर दिया था और शिवसेना-राकांपा-कांग्रेस सरकार ने इस कदम की आलोचना की थी। एनआईए ने जनवरी के आखिरी सप्ताह में अदालत से अनुरोध किया था। ये मामला ३१ दिसंबर २०१७ का है। जब पुणे के शनिवारवाडा में एल्गार परिषद कॉन्क्लेव में कथित तौर पर आपत्तिजनक भाषण दिए गए थे। पुलिस का दावा है कि इन भाषणों के बाद ही कोरेगांव भीमा वॉर मेमोरियल के पास अगले दिन दंग भड़क उठे थे। पुणे पुलिस का दावा है कि यही कॉन्क्लेव माओवादियों का समर्थन करती है। जांच के दौरान पुलिस ने वामपंथी कार्यकर्ताओं सुधीर धावले, रोना विल्सन, सुरेंद्र गाडलिंग, महेश राउत, शोमा सेन, अरुण फरेरा, वेर्नोन गोंसाल्विस, सुधा भारद्वाज और वारवरा राव को माओवादियों से संबंध के आरोप में गिरफ्तार किया था. ये सभी ९ एक्टिविस्ट अभी जेल में हैं। इस मामले में कुल ११ लोगों के खिलाफ मामला एनआईए ने दर्ज किया था। 


महाराष्ट्र सरकार का... बॉम्बे हाईकोर्ट ने एल्गार परिषद के कथित माओवादी संपर्क मामले में नागरिक अधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा और आनंद तेलतंबडे को अग्रिम जमानत देने से शक्रवार को इनकार कर दिया। न्यायमर्ति पी. डी. नाइक ने उनकी अग्रिम जमानत याचिकाओं को खारिज कर दिया. हालांकि, अदालत ने उनकी गिरफ्तारी से अंतरिम राहत की अवधि चार सप्ताह के लिए बढ़ा दी ताकि वे उच्चतम न्यायालय में अपील कर सकें। पणे पलिस ने एक जनवरी २०१८ को पणे जिले के कोरेगाव भीमा गांव में हिंसा के बाद माओवादी संपर्को तथा कई अन्य आरोपों में नवलखा, तेलतंबडे और कई अन्य कार्यकर्ताओं पर मामला दर्ज किया। पुणे पुलिस के अनुसार, ३१ दिसंबर २०१७ को पुणे में हए एल्गार परिषद सम्मेलन में 'उत्तेजक' भाषण और 'उकसावे' वाले बयान दिए गए, जिससे अगले दिन कोरेगांव भीमा में जातीय हिंसा भड़क उठी। पुलिस ने आरोप लगाया कि इस सम्मेलन को माओवादियों का समर्थन प्राप्त था। तेलतुंबडे और नवलखा ने पिछले साल नवंबर में अग्रिम जमानत मांगते हए उच्च न्यायालय का रुख किया था। इससे पहले पुणे की एक सत्र अदालत ने उनकी याचिकाओं को खारिज कर दिया था। पिछले साल दिसंबर में उच्च न्यायालय ने उन्हें अग्रिम जमानत याचिकाओं के निस्तारण की सुनवाई लंबित रहने के कारण गिरफ्तारी से अंतरिम राहत दी थी। पुणे पुलिस मामले की जांच कर रही थी लेकिन केंद्र ने पिछले महीने इसकी जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी को सौंप दी।